इक्कीसवीं सदी की जनसंवेदना एवं हिन्दी साहित्य की पत्रिका
नाम: सीमा शफ़क़
जन्म स्थान: पंजाब (मलेर कोटला)
शिक्षा: एम. ए. ( अंग्रेज़ी )
प्रकाशित रचनायें: - कथादेश, हंस, पहल, वर्तमान साहित्य, कथाक्रम, बया, आजकल, नया ज्ञानोदय, शेष, वागर्थ आदि.
अभिरूचियाँ: आवारा जानवरों के प्रति विशेष प्रेम व बीमार हालत में उन जानवरों की सेवा करना.
संपर्क: द्वारा - आर - डी प्रसाद, एल - 17 फेज़ 3, शिवलोक कालोनी, समीप - रानीपुर मोड़, हरिद्वार - उत्तराँचल
आत्मकथ्य: ये लम्बी लम्बी कहानियाँ, तवील नज़्में, मज़्मून लिखने वाली मैं जब भी अपने मुत्तालिक आप कुछ कहना हो, चित्त हो जाती हूँ. दाँयें बाँयें करके टालती हूँ. सामने वाले को मासूमियत से और नफ़ीस सुफ़ैद झूठ बोल कर टहलाने की मेरी कोशिशें सौ में से अठानवें दफ़ा कमाल की कामयाब साबित होती हैं. पर जब कभी कोई एस्केप रूट नही बचता तो मेरी हालत मैं ही जानती हूँ. अपने बारे में या अपनी रचना प्रक्रिया या फिर अपने से मुतालिक कुछ भी लिखते मेरे सामने कमोबेश वही मुश्किल पेश आती है जो कभी ' शरत दा' के सामने आई थी जब उनसे किसी ने कहा कि" आप अपनी'आटोबायोग्राफी' क्यूँ नहीं लिखते ?" शरत दा का जवाब था" अगर जानता कि अपने बारे में लिखना होगा, अपने जीवन के बारे में लिखना होगा तो ज़िंदगी और ठब जीता जो जिया, वो शब्दो से बाहर है".
ज़िंदगी ऐसे लम्हात का लेखा जोखा है जिन्हें क़लम करना मेरे लिए मुमकिन नहीं. कहानियाँ, नज़्में भी उन्हीं लम्हों में हुई है. जो मेरी कहानियाँ पढ़ेगें नज़्में पढ़ेगें वो जिंदगी को भी पढ़ेगें उससे परे उससे अलग क्या कहना होता है दिन रात शब्दों से खेलती हूँ तब भी ईमान उसी लाओत्से पे है जो कहता है'शब्द असत्य है'.