इक्कीसवीं सदी की जनसंवेदना एवं हिन्दी साहित्य की पत्रिका
जैसे - जैसे लड़की बड़ी होती है
उसके सामने दीवार खड़ी होती है
क्रांतिकारी कहते हैं
दीवार तोड़ देनी चाहिये
पर लड़की है समझदार और संवेदनशील,
वह दीवार पर लगाती है खूँटियाँ ......
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