इक्कीसवीं सदी की जनसंवेदना एवं हिन्दी साहित्य की पत्रिका
एक सर्द हवा के झोंको वाली रात
निर्दयी बहती हुई ठण्डी हवा
अधिक दु:खदायी हो जाती है
जीवन के एकाकीपन में
मैं ख़ामोशी से सर्द हवाओं को
आगोश में लिए, रात के अँधेरे में
प्रकृति की ख़ूबसूरती पर मंत्रमुग्ध हो
चला जा रहा था
रास्ते ख़ामोश थे और निर्जन
वीरान ख़ालीपन दूर तक फैला था
पिछली रात स्वप्न में
एक जोड़ी ग़ज़ाला आँखें
मुझे घूरती रहीं देर तक
मेरी बेचैनी को चुप्पी दबाए घूरते हुए
मुझे भीतर तक क्षत-विक्षत कर दिया था
लेकिन दर्द का नामोनिशाँ न था
एक सुखद अनुभूति थी जो
बिन बयाँ किए ख़ुशनुमा होने का
एहसास दिलाए
मैं उस अचल अटल नीली राशि में डूब गया था
और दूर तक आशा की कोई किरण नज़र न आई
और इस डूबने वाली मौत की छटपटाहट
बड़ी भली लग रही थी उस वक़्त
निश्चित ही मैं इससे पार हो जाऊँगा
उसकी ख़ूबसूरत मुस्कान लंबे ऊर्ध्वाधर
फैले गर्म नाज़ुक होंठ
जिनकी नर्मी मेरी साँसों में उतर रही थी
यह एक मौन आमंत्रण था
अ उस फ़रेबी की एक व्यंगात्मक मुस्कान
जो होठों पर नाच रही थी
स्तब्ध था मैं
समय थम सा गया
लेकिन इस जड़ता ने जल्द ही
मेरा साथ छोड़ दिया और
उसके होठों की नर्मी को मैं
अपने सर्द एहसासों से शांत करना चाहता था
मग़र यह हो न सका
मैं उस मदमाते यौवन का बेनाम
ग़ुलाम हो जाता; कोशिशें तमाम
नाक़ाफ़ी हुयीं और
मेरी हालत पूर्ववत थी
मैं ज़ोर ज़ोर से भयमुक्त आशंकायुक्त उद्वेलित
चीखता चिल्लाता छटपटाता रहा
मग़र इस दर्द के मरहम का पता न था
क्योंकि
उसका ख़ुदा उसके साथ था
और मैं अकेला था,
मेरा कोई ख़ुदा न था
मैंने उसके ख़ुदा के सामने मिन्नतें कीं
गिड़गिड़ाया, उसके साहचर्य की भीख माँगी
लेकिन सब कुछ मेरे लिए बेमानी था
अपर्याप्त, मैं उठा, और आगे बढ़ चला
अपनी ज़िंदगी जीने
एक ऐसे हमसफ़र की तलाश में
जिसका कोई ख़ुदा न हो
जिससे मैं कह सकूँ;
मैं तुम्हारे प्यार के साथ रहूँगा
जैसे समंदर की घासें समंदर में रहती हैं
उसी तरह से तुम्हारे साथ रहूँगा
जिस तरह से लहरें आकर गुज़र जाती हैं
हर गुज़र जाने वाली लहर के साथ डूब जाऊँगा
मैं अपने सपनों के अंतर्मन को
तुम्हारे लिए, सिर्फ तुम्हारे लिए
खाली कर दूँगा
मैं तुम्हारे
उस हृदय की धड़कनों के साथ
धड़कना चाहता हूँ
मैं तुम्हारे
आत्मा के साथ संलग्न
होना चाहता हूँ
यह मुझे
चाहे जिस ओर ले जाए.
© 2009 Abhimanyu; Licensee Argalaa Magazine.
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नाम: अभिमन्यु
उम्र: 38 वर्ष
जन्म स्थान: मधेपुरा (बिहार)
शिक्षा: स्नातक ऑनर्स (राजनीतिशास्त्र), एम. एल. टी., सहरसा कॉलेज, सहरसा; पुश्तो भाषा में सी. ओ. पी. कोर्स, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली.
अनुभव: कदम फ़िल्म्स के साथ लघु फ़िल्म व डॉक्यूमेंटरी के लिए सह-निर्देशक एवम स्क्रिप्ट राईटिंग, 2008; फ़्रेंच मीडिया एण्ड न्यूज़ प्रोडक्सन फर्म 'ला फ़ुल पावर' के लिए अनुवाद और स्क्रिप्ट लेखन, 2007-08; युनाइटेड नेशन मिलेनियम डेवेलपमेंट प्रोग्राम (यू. एन. डी. पी.) में-'पैक्स' (पूअरेस्ट एरिया सिविल सोसाइटी) के लिए कार्यक्रम सह-संयोजक व डेवेलपमेंट अल्टरनेटिव्स के लिए कार्य; अब तक तमाम सामाजिक संस्थाओं से जुड़े रहकर समय समय पर सामजिक गतिविधियों में संलग्न.
संप्रति: अरगला त्रैमासिक पत्रिका के लिए साहित्यिक सहयोग. इसके अतिरिक्त अनुवाद व डाक्यूमेंट्री फ़िल्मों के लिए स्क्रिप्ट लेखन एवं मीडिया संस्थानों के लिए न्यूज़ स्टोरी लेखन. सामाजिक जन आंदोलनों से जुड़े मुद्दों पर सक्रिय भागेदारी.
संपर्क: ग्राम, पोस्ट - सुखासन चकला, जिला मधेपुरा, बिहार.