इक्कीसवीं सदी की जनसंवेदना एवं हिन्दी साहित्य की पत्रिका
अनिल पु. कवीन्द्र: कविता का अनुवाद एक कलात्मक विधा 'प्लास्टर ऑफ पेरिस' की तरह रूपांतरण है या कलात्मक सृजन है?
नीलाभ अश्क: असल में बात यह है कि, श्रीकांत वर्मा ने, वाज़्नेसेंस्की जो एक रूसी कवि हैं, उनकी कविताओं का अनुवाद किया था, 'फैसले का दिन' के नाम से. उसकी भूमिका में उन्होंने लिखा है कि अनुवाद में पुनर्रचना के दौरान कविता नष्ट होती है. ये कथन थोड़ा अतिवादी सा लग सकता है लेकिन जाहिर है कि अनुवाद ......
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इतिहास
और सप्ताह का हमारा यह दिन
और विद्युत चुंबकीय भविष्य
देख सकते हो इन्हें
जैसे ये तीन स्वार्गिक घोड़े हों
किसी पावन रथ से जुते ......
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