अर्गला

इक्कीसवीं सदी की जनसंवेदना एवं हिन्दी साहित्य की पत्रिका

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स्वर्ण स्तंभ


किशोरी लाल

अनिल पु. कवीन्द्र: हिंदी के गिरते हुए स्तर को वर्तमान समय में किस तरह के प्रारूप की जरूरत है?

डॉ. किशोरी लाल: हिंदी का समृद्ध वांगमय भक्ति और वीर काव्य के रूप में देखा जाता है. आज हिंदी का अध्येता इन दोनों को भूलता जा रहा है. अतीत के सबसे महत्वपूर्ण साहित्य के अध्ययन - अध्यापन से ही हिंदी का गिरता हुआ स्तर ऊँचा किया जा सकता है

अनिल पु. कवीन्द्र: नई कविता को वर्तमान परिवेश ......
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