अर्गला

इक्कीसवीं सदी की जनसंवेदना एवं हिन्दी साहित्य की पत्रिका

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काव्य पल्लव

पवन करण

सीवर लाइन

एक आदमी सीवर लाइन में
काम करने उतरता है
और वापस नहीं लौटता है
उसके पीछे दूसरा आदमी उतरता है
वह भी वापस नहीं लोैटता
तीसरा उतरता है
तीसरा भी वापस नहीं लोैटता

हमारा रूका हुआ मल बहाने
मल में उतरे कितने ही आदमी
मल में फंसकर रह जाते हैं
हमारे मल में लिथड़ी
उनकी लाशें बाहर निकलती हैं
जो वापस लौट आते हैं
उन्हे देखकर अचंभा होता है

हमारे पेट में रहते -रहते मल भी
हमारे जेैसा हो गया है
वहां भी उनकी देह से लिपटकर
उन्हें जीते जी मार देने का
वह कोई अवसर नहीं छोड़ता

मल तसले से रिसकर देह पर
टपकते हुए चलने और
सिर पर सवार रहने का
सामंती संस्कार भूलता नहीं

रोटियाँ

उनकी भूख में जितनी रोटियाँ हैं
उनमें से कुछ को बेला जाये
इतनी देर उनसे तैयार हो सकें
बच्चों के बस्ते शब्द ओैर आग

उन तक पहुँचने वाली रोटी की
गणना तब्दील हो उन ईटो में
जिनसे खड़ी हो सकें दीवारे
किसी -किसी रोटी की पहचान
इतनी तन जाये कि ठहर सके
उन दीवारों पर छतों सी

कुछ की गंध उनका ओढ़ना हो
कुछ से निकलती भाप हो बिछौना

रोटियाँं वैसी होने दी जायें
उससे पहले ही उन्हें उनकी
भूख के आगे तब तक
नहीं पटका जाये जब तक वे उनमें
अपना चेहरा न देख ले.

झूठ

यदि यह झूठ है तो भी मेरी गति में
इसने अपनी जगह बना ली है
ऐसा झूठ जो दुनिया में जुबान से अधिक
लोगों की आँंखो से बोला गया है

दुनिया सबकी हो सब इसे सबकी माने
यह झूठ है तो मेरी तरह इसे
कौन नही बोलना चाहेगा

वह तो इसे बार-बार दोहराना चाहेंगे
जिन्हें यह लगता है यह दुनिया
उतनी उनकी नहीं
जितना इसे होना चाहिये उनका

झूठ ही तो था जो ढह गया है
जो ढह गया वह झूठ रहा होगा
मगर यह झूठ तो लगातार
अपने बोले जाने को अभिशप्त है

कोट में बाजू पर बटन

ऐसा मैने भी करने की कोशिश की
जाड़े के दिनों में दो चार बार
मगर हर बार ऐसा हुआ
कोट में बाजू पर बटन आ गये आड़े
उन्होंने नाक पर अपनी रगड़ बना दी

जब मैंने जहाज पर काम करते
उन बच्चों के बारे में पढ़ा मुझे लगा
में भी उन बच्चों में से बच्चा
कोई एक सफाई करता वहां अब भी

जिनके कोट के बाजुओं पर
लार्ड नेल्शन ने लगवा दिये बटन
बस इसलिये काम करते करते
न पौंछ सकें वे नाक
कोट के बाजुओं से अपने

तब से अब तक कोट के दोनांे तरफ
बाजुओं पर यह बटन उनकी स्मृति में
कभी नाक से पानी आने पर अपनी
नजरें बचाकर सबकी या कर सकें तो
सामने सबके बटनों की
रूकावट के बावजूद पौंछकर कर
अपनी नाक करें उन बच्चों को याद

गरीब देश - 1

आपके दिये इस नाम ने मुझे
अपना असली नाम भुला दिया है

आप मेरे लिये सहायता भेजते हैं
डालर मंजूर करते है पीछे-पीछे
आपकी कंपनियां चली आती हैं

मुझे जबरदस्ती हथियार बेचकर
भाग जाती हैं आपके भेजे डालर
में रोटियो में नहंी बदल पाता हूं
मेरा खाली पेट मेरी पहचान है
और मेरी भू़ख मेरी गाथा

मैने बरसों से भर पेट नहीं खाया
बहुत कमजोर हूँ मैं, जो आपकी कंपनियाँ ं
मेरे हाथों में थमा जाती है
उन बंदूकों को पकड़कर
मैं खड़ा तक नहीं हो पाता हूँ

गरीब देश - 2

आप मेरी भूख से ज्यादा
मेरी बीमारी पर बात करते हैं

मुझे कौन सी बीमारी है
यह भी आप ढूंढ लेते हैं
बीमारी में मेरी जरूरतें
क्या होगीं ये आपकी
कंपनियां तय कर लेती हैं

हवाई जहाजों में भरकर
दवाइयां आती हैं और मेरे मुंह में
ठूंस दी जाती हेेैं मैं उनमें रोटियाँ ं
और मेरे बच्चे दूध बिस्कुट ढूंढते हैं

मैदान ओैर गलियाँ
गर्भ निरोधकों की एक्सपायरी से
भरे पड़े हैं मेरे

हथियारों की जगह जो
रोटियांें से हल हो सकती हेै
मेरे भीतर फैली वह लड़ाई
तुम्हें नजर ही नहीं आती

© 2012 Pavan Karan; Licensee Argalaa Magazine.

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