इक्कीसवीं सदी की जनसंवेदना एवं हिन्दी साहित्य की पत्रिका
अनिल पु. कवीन्द्र: संवेदना के स्तर पर आपको फ्रांसीसी या हिन्दी साहित्य या संस्कृति में क्या साम्यता या अन्तर प्रतीत होता है?
शीला कार्की: आज कल जो आधुनिक साहित्य है उसको आप देखिए तो मतलब एक तरह था जो चेंज है वो सभी में एक सा ही है. क्योंकि एक भूमण्डलीकरण की प्रक्रिया के तहत रचा जा रहा है. भारत एक ऐसा देश है जहाँ अनेकों मशहूर साहित्यकार हुए हैं उन्हीं में से एक मशहूर साहित्यकार हैं गुजरात ......
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देर गये पेरिस के कला क्षेत्र
मेरे टूटे अंधेरे.
अभी पीड़ित करते हैं.
अभी बरसता है
और दुबारा
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चिट्ठियाँ बाँटने वाले, चिट्ठियाँ बाँटने वाले
सात समन्दर पार गया वो, कर के करार गया वो
दिल भी देख-देखकर हार गया वो
माही मेरे दिल की काली कँवली, थैले में डाल ले आ.
चिट्ठियाँ बाँटने वाले..
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