इक्कीसवीं सदी की जनसंवेदना एवं हिन्दी साहित्य की पत्रिका
वरयाम सिंह से एक मुलाकत विशाल भारती और अनिल पुष्कर कवीन्द्र के साथ
विशाल: सभी भाषा से हिन्दी भाषा में जो भी साहित्य अनूदित हुआ उनमें से कौन सी कृतियाँ ऐसी हैं जिन्होंने हिन्दी साहित्य में प्रगतिशीलता को नए आयाम दिए?
वरयाम: बात वहीं है- प्रगतिशीलता की बात करें तो भारत में स्वतन्त्रता के प्रति सचेत होना, महिलाओं के अधिकारों के लिए सचेत होना, श्रमिक वर्ग के हितों, अधिकारों के लिए सचेत होना. इसे प्रगतिशीलता कह ......
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