इक्कीसवीं सदी की जनसंवेदना एवं हिन्दी साहित्य की पत्रिका
अनिल पु. कवीन्द्र: अपने समकालीन कवियों पर आपकी क्या राय है?
गंगा प्रसाद विमल: समकालीन से मतलब है जो मेरे समय के लेखक हैं, जिन्होंने साथ-साथ लिखना शुरू किया था। वो इस अर्थ में समकालीन हैं कि हम लोगों ने साथ-साथ लिखा। जो समकालीनता से लोग अर्थ लेते हैं वो है - अद्यतन। जो आज लिख रहे हैं वो कैसा लिख रहे हैं? मेरे समय के समकालीन रचनाकारों ने अच्छी रचनाएँ लिखी। और ख़ासतौर से इसलिए कि जो ......
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गंगा प्रसाद विमल : ये तो निर्विवाद है कि आप आलोचना के शिखर पुरुष हैं. विगत वर्षों अर्थात स्वाधीनता के बाद की आलोचना किस अर्थ में महत्वपूर्ण हैं, इस पर आप जरूर कुछ सोच रहे होंगे?
नामवर सिंह: बड़ा ही मुश्किल सवाल आपने पूछ लिया है। क्योंकि ये बात अगर रचनाकारों से पूछें तो ज्यादा अच्छा है। आमतौर पर आलोचना से शिकायतें लोगों को बहुत ज्यादा है और तरह-तरह की शिकायतें हैं। अपनी ओर से यह कहते हुए ......
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अनिल पु. कवीन्द्र: आपकी शिक्षा एक मार्क्सवादी विचारधारा से जुड़े विश्वविद्यालय में हुई. आप का इस पर क्या विचार है?
उदय प्रकाश: कवीन्द्र जी, सबसे पहले तो मैं एक आपत्ति लूँ, ये सही है. कि जवाहरलाल नेहरू नाम है इसका. और ये भी सही है कि इसकी पूरी स्थापना में जिन लोगों की भूमिका थी पार्थसारथी और उसमें श्रीमती इंदिरा गान्धी के साथ जुड़े काफी बौद्धिक समुदाय के लोग थे जिसमें के. एन. सिंह भी शामिल थे. ये ......
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